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Uttarayan (मकर संक्रांति ) |
सूर्य देव जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है । इस प्रकार सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता, क्योंकि यह मकर राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं। और उत्तरायण में प्रवेश करने की वजह से इसको उत्तरायण भी कहा जाता है।पूरे देश में मकर संक्रांति का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।पूरे देश में इस पर्व को अलग-अलग नामों एवं विधियों से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य की गति दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश कराती है।मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में मैं प्रवेश करता है,और वैदिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन सूर्य से पवित्र उर्जा का उत्सर्जन होता है, इसलिए इस दिन स्नान, ध्यान, पूजा-पाठ, एवं मंत्रों के द्वारा सूर्य की उपासना की जाती है, क्यों कि सूर्य की ऊर्जा से पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति एवं संचार होता है।
इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है । इस दिन दान देने का भी विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन तिल एवं गुड़ का दान किया जाता है। पुराणों के अनुसार महाभारत भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु सैया पर प्राण त्यागने से पहले उत्तरायण के आगमन की प्रतीक्षा की थी । यह मान्यता है उत्तरायण में प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।कोई भी बड़ा काम करने के लिए इसे उत्तम समय मानागया है ।
इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है । इस दिन दान देने का भी विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन तिल एवं गुड़ का दान किया जाता है। पुराणों के अनुसार महाभारत भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु सैया पर प्राण त्यागने से पहले उत्तरायण के आगमन की प्रतीक्षा की थी । यह मान्यता है उत्तरायण में प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।कोई भी बड़ा काम करने के लिए इसे उत्तम समय मानागया है ।
गुजरात मैं उत्तरायण का नजारा बड़ा ही रोचक एवं उत्साह से भरा होता है। इस दिन सभी लोग छत पर ही नजर आते हैं। सभी लोग इस दिन पतंग उड़ाते हैं, क्या बच्चा, क्या बूढ़ा सभी पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। पतंग उड़ाने में महिलाएं भी पीछे नहीं रहती हैं। बच्चे तो उत्तरायण आने से काफी दिन पहले से उत्साह से भरपूर उत्तरायण का इंतजार करते हैं । उत्तरायण के पहले सभी पतंगे, माजा एवं चरखी का खरीदारी कर लेते हैं ।उत्तरायण के दिन आसमान में सिर्फ पतंग ही पतंग नजर आती हैं। सारे सड़क एवं बाजार मैं सन्नाटा छाया होता है , सभी पतंग उड़ने में व्यस्त होते हैं । पूरे दिन कोई भी छत से नीचे नहीं उतरता है, भोजन में इस दिन के लिए खास तौर से उदियो हलवाई से लाया जाता है । इस पकवान को बहुत सारी सब्जियों एवं तिल के तेल के साथ तैयार किया जाता है। क्योंकि तिल खाने एव् दान देने का इस दिन विशेष महत्व होता है। दूसरे गुजराती पकवानों में खमण, पात्रा, जलेबी एवं ढोकला का समावेश किया जाता है ।
इस दिन गुजरात में जगह-जगह पर काईट फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है । काईट फेस्टिवल में देश विदेश के प्रतियोगी अपना पतंग एवं पतंग उड़ाने का हुनर दिखाने के लिए आते हैं ।किते फेस्टिवल देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है , देश के कोने कोने से इसका नजारा देखने केलिए लोग गुजरात के शहर अहमदाबाद आते हैं।
इस दिन गुजरात में जगह-जगह पर काईट फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है । काईट फेस्टिवल में देश विदेश के प्रतियोगी अपना पतंग एवं पतंग उड़ाने का हुनर दिखाने के लिए आते हैं ।किते फेस्टिवल देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है , देश के कोने कोने से इसका नजारा देखने केलिए लोग गुजरात के शहर अहमदाबाद आते हैं।
इस दिन इतनी पतंग आसमान में नजर आती हैं, कि पक्षियों के लिए उड़ने कि जगह नहीं मिलती । बहुत से पंछी पतंग की मानचे से घायल हो जाते हैं, इसलिए दयाकारी संगठन पतंग उड़ाने को बढ़ावा नहीं देते, खासकर चाइना से आने वाला मांजा बहुत ही खतरनाक होता है इससे पक्षी ही नहीं, सड़क पर चलने वाले लोग भी अपनी गर्दन एवं कान कटा बैठते । इसलिए सड़क पर बाइक चलाते हुए इस बात की सावधानी रहे की पतंग के माजा से आपको नुकसान न पहुंचे ।
उत्तरायण अथवा मकर संक्रांति खगोलीय स्तिथि के आधार पर मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है । इसका वैदिक कैलेंडर में बड़ा ही महत्व है । हमारा हर पर्व ईश्वर एवं प्रकृति की पूजा आराधना, दान एवं सहभागिता की रूप में मनाया जाता है । इन अवसरों पर हम प्रकृति एवं ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।
यह पर्व आपके जीवन में ऊर्जा का संचार करें एवं खुशियां लेकर आए -धन्यवाद
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