25 BENIFITS OF KAPALBHANTI PRAYANAM
कपालभाति के 25 फायदे
क्या है क पालभाति प्राणायाम :
हठ योग में शरीर के शुद्धिकरण के लिए षटकर्म बताए गए हैं ।जिसमें नेति,धोती, नौली, बस्ती, त्राटक और कपालभाति कपालभाति का प्रयोग योगिक क्रियाओं में मुख्या रूप से किया जाता है। कपालभाति न सिर्फ शरीर की शुध्दि करता है वल्कि मन एवं मस्तिष्क की भी शुध्दि करता है । आज के परिपेक्ष में जबकि अनुचित जीवनशैली के कारण शरीर और मानसिक रोगों की अधिकता बढ़ती ही जा रही है, अनुचित खान-पान एवं अनियमित दिनचर्या के कारण शरीर पर प्रतिकूल प्रभावों से ग्रसित है ,ऐसे में आज भारत की प्राचीन योग विद्या शरीर को स्वस्थ एवं मन को प्रसन्न रखने में बहुत कारगर साबित हो रही हैं । पर्यावरण जन्य बीमारियों से लड़ने के लिए योग की उपादेयता बहुत है । वैसे तो यह भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा योग को परमात्मा प्राप्ति के रूप में अपनाया था परन्तु आज इसकी व्यवहारिकता रोगों से छुटकारा एवं स्वास्थ लाभ के लिए किया जा रहा है। कपालभाति प्राणायाम योग का वह घटक है जो शरीर से असाद्य रोगों तक को ठीक करसकता है ।अगर इससे विधिवत एवं नियमित रूप से किया जाए तो इसके आश्चर्यचकित करने वाले परिणाम मिलते हैं साथ ही हमारा बहुमुखी आत्मिक विकास होता है।
कैसे
करें कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति
प्राणायाम को करने हमारे
पेट का खाली होना और हल्का
होना आवश्यक है। अगर पेट में
भारीपन है तो भलीभांति
विरेचन के द्वारा पेट की शुद्धि
करनी चाहिए ।इसके करने का उचित
समय प्रातः काल एवं संध्या
काल है। इसे करने के लिए आप
सहज पालथी यानी सुखासन,
सिद्धासन,
वज्रासन
या पद्मासन जो भी आप को आराम
देय लगे उसमें बैठ सकते हैं
। इस बात का खास खयाल रहे की
शरीर के अंदर कोई तनाव या अकड़न
ना हो एवं आप की रीढ़ की हड्डी
सहज रूप से एकदम सीधी रहे ।
लापालभाँति
कि विधि
इसे
करने के लिए आपको पूरे वेग के
साथ स्वासों को नासिका
द्वारा बाहर फेंकना है। ध्यान
रहे की सारा ध्यान सांसो
को बलपूर्वक बाहर निकालने पर
हो । सांस का अंदर आना एक
सहज क्रिया के रूप में स्वतः
ही प्रयास रहित क्रिया से होगा
। कपालभाति को करते समय
हमारा पेट वेग के साथ अंदर की
ओर जाता है ,और
फिर बिना प्रयास के स्वांस
अंदर जाता है । इस क्रिया में
मुंह बंद रहता है । शुरुआत में
कपालभाति करने में थोड़ा दर्द
महसूस हो सकता है जो कि धीरे-धीरे
समाप्त हो जाएगा। इसको अपनी
यथाशक्ति के अनुसार ही करना
चाहिए उचित रहेगा कि आप किसी
जानकार व्यक्ति के निर्देशन
में इसकी जानकारी लेकर शुरू
करें ।
वैसे
तो कपालभाति प्राणायाम के
अनंत फायदे हैं फिर भी हम
कपालभाति के प्रमुख २५ फायदे
कुछ इस प्रकार से हैं-
1. बजन
कम करने में सहायक-
कपालभाति
प्राणायाम तेजी से बजन घटने
में प्रमुख रूप से सक्षम है
। अध्ययन से पता चला है कि यदि
नियमित एवं विधिवत अभ्यास
किया जाए तो कपालभाति कि मदद
से १० से १५ किलो बजन कुछ ही
पखवाड़ों में कम किया जा सकता
है। इसके साथ खान-
पान
भी विशेष ध्यान देना चाहिए
जिससे कपालभाति का पूरा लाभ
मिल सके। मोटापा सभी बीमारियों
की जड़ होता है कपालभाति के
द्वारा शरीर का मेटाबॉलिज्म
बड़ा देता है जिससे बसा तेजी
से जलाता है।
2.पेट संबंधी रोगों में लाभ्कारी -
कपालभाति
करने से उदर में स्थित सभी
पाचन तंत्र का व्यायाम होता
है इसलिए पाचन पाचन संस्थान
बहुत ही मजबूत एवं स्वस्थ हो
जाता है जिससे पाचन सुचारु
रूप से होता है । जो भी भोजन
आप कहते है उसके सभी पोषक तत्त्व
शरीर को मिलते है,
इसीलिए
शरीर स्वस्थ रहता है ।
3. मधुमय में लाभ्कारी –
नियमित
कपालभांति करने से मधुमय रोग
में लाभ मिलता है इससे इंसुलिम
प्रोडक्शन में इजाफा होता
है। कपालभांति पेन्क्रिया
की कार्य क्षमता को बढ़ाता है
जिससे रक्त में शुगर का लेवल
नहीं बढ़ता ।
4.रोग प्रतिरोधक क्षमता
कपालभाति
प्राणायाम करने से रोगों
से लड़ने की क्षमता में वृद्धि
होती है इस कारण बार-बार
होने वाले छोटे-मोटे
रोग जोकि वातावरण के बदलाव
या संक्रमण के कारण होते रहते
हैं,
नियंत्रित
हो जाते हैं और कपालभाति छोटी
मोटी बीमारियों से लड़कर एक
ढाल की तरह कार्य करता है।
5. त्वचा में चमक
कपालभाति
का तात्पर्य है कपाल यानी
माथा भांति यानी चमक यानी
कपालभाति करने से ललाट पर एक
चमक उत्पन्न होती है,
ऐसी
बजह से इसका नाम कपालभाति
पड़ा । इसके करने से संपूर्ण
शरीर की त्वचा निरोगी एवं
चमकदार बनती है।
6. स्नायु तंत्र की प्रबलता
कपालभाति
करने से हमारा स्नायु तंत्र
प्रबल होता है इसके फलस्वरूप
हम शरीर में चुस्ती-फुर्ती
एवं समस्त अंगों पर बेहतर
नियंत्रण महसूस करते हैं।
स्नायु तंत्र के स्वस्थ रहने
से शरीर स्वस्थ एवं मन प्रसन्न
रहता है ।
7. रक्त संचार मैं सुधार
कपालभाति
प्राणायाम करने से शरीर में
रक्त का संचार सुलभ एवं सुचारू
रूप से होता है,
जिससे
हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका
में प्रचुर मात्रा में
ऑक्सीजन प्राप्त होती है,
और
शरीर की प्रत्येक कोशिका जीवंत
एवं स्वस्थ महसूस करती है
हमारे शरीर की सबसे छोटी इकाई
कोशिका है जिसमें जीवन का
प्रभाव होता है।
8. श्वास संबंधी रोगों में लाभ
हम
कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास
के दौरान स्वासों को तेजी
से बाहर फेंकते हैं,
तो
हमारे फेफड़ों को व्यायाम
मिलता है,
जिससे
फेफड़ों में रक्त का संचार
बढ़ता है और वे स्वस्थ होते
हैं। इस प्रकार कपालभाती
की मदद से स्वास्थ्य के रोगों
में लाभ मिलता है और जो लोग
स्वस्थ हैं ,उनको
स्वास्थ्य के रोग होने की
संभावना नगण्य हो जाती है।
9. मानसिक तनाव में कमी
कपालभाति
प्राणायाम करने से मन शांत
होता है,
विचारों
के बहाव की तीव्रता में कमी
आती है,
इसलिए
मन पर इसका अनुकूल प्रभाव
पड़ता है। मनसे तनाव की स्थिति
समाप्त हो कपालभाति प्राणायाम
आपको ध्यान की स्थिति में
ले जाने में भी सहायक होता है
।
10. एसिडिटी की समस्या से छुटकारा
कपालभाति
करने से पाचन संस्थान स्वस्थ
रहता है एवं पेट में बनने वाले
अम्ल की मात्रा नियंत्रित
रहती है,
जिससे
पेट में जलन खट्टी डकार एवं
गैस की समस्या से छुटकारा
मिलता है।
11. हड्डियों मजबूत होना
कपालभाति
के परिणाम स्वरूप आप की
हड्डियां मजबूत हो होती
हैं,
शरीर
में कैल्शियम का पाचन सुचारू
रूप से होने से हड्डियों को
बल मिलता है,
इसलिए
स्त्रियों में होने वाले
ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी
से छुटकारा पाया जा सकता है
।
12. मासिक धर्म की अनियमितता
कपालभाति
करने से स्त्रियों में होने
वाले अनियमित मासिक धर्म,
नियमित
होने लगते हैं ,
इसका
अभ्यास करने वाली स्त्रियों
ने इसके लाभों को महसूस किया
है अतः जो भी स्त्री मासिक
धर्म संबंधी परेशानियों से
ग्रस्त है वह किसी अनुभवी
योगाचार्य की सलाह से कपालभाति
का अभ्यास करें ।
13. कुण्डलिनी जागरण
अध्यात्म
में कुण्डलिनी जागरण का बहुत
ही महत्व है,
कुण्डलिनी
मूलाधार चक्र से जाग्रत होकर
,सभी
चक्रों को भेदती हुई सहश्रार
चक्र की और प्रस्थान करती है
। कहा जाता है कुण्डलिनी जागरण
होने से दिव्या शक्तियों की
प्राप्ति होती है और परम-तत्व
प्राप्ति का रास्ता प्रसस्त्र
होता है।
14. स्तन कैंसर
स्त्रियों
में स्तन कैंसर की शिकायत
आमतौर से पाई जाती है। इसका
कारण अधिक वजन होना,
धूम्रपान,
अल्कोहल
पान,
हार्मोनल
बदलाव एवं स्टोरॉइड्स का
इस्तेमाल है। प्रारंभिक
दशा में अगर कैंसर का पता चलता
है तो इसे कपालभाति के द्वारा
ठीक किया जा सकता है।
15. पुरुषत्व की कमी
कपालभाति
के द्वारा पुरुषों में होने
वाली योनि कमज़ोरी एवं
स्पर्म अकाउंट को बढ़ाया जा
सकता है ।प्राणायाम के साथ-
साथ
कुछ बल्य एवं बाजीकारक औषधियों
का प्रयोग भी करना चाहिए ।
16. किडनी की पथरी
आजकल
पथरी की समस्या एक आम बात हो
गई है किडनी में पाई जाने वाली
पथरी बहुत ही दर्द कारक होती
है ।परंतु कपालभाति के नियमित
अभ्यास से पथरी को धीरे-धीरे
गला कर शरीर से बाहर निकाला
जा सकता है।
17. बालों का झड़ना
वातावरण
के दूस-
प्रभाव
एवं उचित पोषण की कमी के करण
बालों की जड़ें कमजोर हो जाती
हैं,
एवं
बाल झड़ने लगते हैं। कपालभाति
प्राणायाम की सहायता से पूरे
शरीर एवं सिर में रक्त का संचार
सुचारु रूप से होता है जिससे
बालों की जड़ों को मज़बूती
मिलती है और बाल झड़ने में लाभ
होता है।
18.अनिद्रा
आज
जिंदगी बहुत ही व्यस्त है,
मनुष्य
की दिनचर्या एकदम परिवर्तित
हो गई है,
साथ
ही विकास की भागदौड़ के कारण
मानसिक स्थिति ठीक नहीं
रहती,तनाव
के कारण हमारी नींद पर प्रभाव
पड़ता है ।अनिद्रा अपने साथ
बहुत सारे शारीरिक और मानसिक
रोग लेकर आती है परंतु कपालभाति
करने से मन शांत विचारों पर
कंट्रोल होने से अच्छी नींद
आती है।
19. आयु बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करना
प्रत्येक
मनुष्य की आयु बढ़ने की
साथ-साथ
शरीर में उम्र सम्बन्धी बदलाव
आते हैं ,
किसी
-
किसी
में ये बदलाव बहुत तीव्रता
से आते हैं। कपालभाति के नियमित
अभ्यास से इस प्रक्रिया को
धीमा किया जा सकता है।
20.मूत्राशय की गांठ
अधिकतर
स्त्रियों में होने वाली
मूत्राशय की गांठ कपालभाति
प्राणायाम करने से धीरे-धीरे
गलने लगती है उचित आयुर्वेदिक
औषधि लेने के साथ-साथ
कपालभाति का अभ्यास किया जाए
तो मूत्राशय की गांठ से
छुटकारा पाया जा सकता है ।
21. कब्ज की तकलीफ को दूर करना
आधुनिक
खानपान में रेशे युक्त भोजन
का अभाव होता है इसके कारण
कब्ज की परेशानी आमतौर पर सभी
में पाई जाती है । परंतु कपालभाति
करने से पाचन तंत्र को बल मिलता
है और कब्ज की तकलीफ दूर होती
है साथ ही हमको मैदा युक्त
भोजन छोड़कर अधिक से अधिक
मात्रा में फल एवं सब्जियों
का इस्तेमाल करना चाहिए ।
22. वेरीकोस वेन
किसी
किसी व्यक्ति में अज्ञात
कारणों से वेरिकोस वेन्स
की तकलीफ होती है। वेरीकोस
वेन चेहरे एवं शरीर को कुरूपबनती
हैं परंतु कपालभाति करने से
रक्त का संचार उपयुक्त रूप
से होने लगता है इसलिए वैरिकोस
वेन्स की समस्या में निश्चित
रूप से आराम मिलता है।
23. माइग्रेन की समस्या
जीवनशैली
एवं दिनचर्या में बदलाव आने
के कारण आज हर दूसरा व्यक्ति
माइग्रेन यानी आधासीसी के
दर्द से ग्रस्त है । पेट की
खराबी एवं समय से एवं पूरी
नींद न लेना इस समस्या के प्रमुख
कारण है। परंतु कपालभाति करने
से माइग्रेन की समस्या मैं
लाभ मिलता है इसके साथ अनुलोम
विलोम प्राणायाम का भी अभ्यास
करना चाहिए।
24. हर्निया का उपचार
हर्निया
या शरीर में कहीं पर वसा की
गांठ है तो उसका इलाज कपालभाति
के नियमित अभ्यास से किया जा
सकता है। आयुर्वेदिक औषधि के
साथ-साथ
कपालभाति के अभ्यास करने से
शरीर में अतिरिक्त वसा की
गांठ घोल-कर
साइज में छोटा होने लगती है।
आजकल
देखा गया है कि बाल कम आयु में
ही सफेद होने लगते हैं ,बच्चों
में भी इस समस्या को पाया
गया है,
बालों
को आयु से पहले ही सफेद होने
से बचाने के लिए कपालभाति
कारगर युक्ति है,
क्योंकि
इसको करने से आपके सिर में
रक्त संचार भली भांति होता
है जिससे बालों की जड़ों को
पोषण एवं संरक्षण दोनों ही
प्राप्त होते हैं
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